प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर धान खरीदी केन्द्रों में जिला स्तरीय निगरानी समिति गठित
संपादक विकेश शुक्ला
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर धान खरीदी केन्द्रों में जिला स्तरीय निगरानी समिति गठित
मुंगेली/प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर धान खरीदी केन्द्रों में जिला स्तरीय निगरानी समिति बनाई गई है। कांग्रेस द्वारा गठित धान निगरानी समितियां कि किसानों को धान खरीदी में होने वाली समस्याओं का जायजा लेने हेतु निर्देशित किया है धान खरीदी केन्द्रों में किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए समय लग रहा है। अगर किसान धान बेचने से चूक गए तो पखवाड़े भर का समय लग रहा है।
प्रदेश में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए बनाए गए उपार्जन केंद्रों में जबदस्त अव्यवस्था होने का आरोप प्रदेश कांग्रेस ने लगाया है।और कहा कि सभी धान खरीदी केन्द्रों में अव्यवस्था का आलम है। धान के लिये पर्याप्त बोरों की व्यवस्था नहीं है किसानों को अपना आधा बोरा को देने के लिए कहा जा रहा है,आपको बता दें राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना में से एक किसानों से धान खरीदी करना होता है जिसमें धान खरीदी केंद्रों के लिए गाइड लाइन जारी होता है जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार पिछले 14 नवंबर से किसानों से धान खरीदने का कार्य शुरू किया गया है प्रायः प्रायः प्रदेश के सभी जिलों में धान खरीदी किया जा रहा है जिसमें किसानों से एक बोरी में 40 किलो के अनुपात से धान खरीदना है बरदाना का अलग से वजन 700 ग्राम निर्धारित किया गया है दोनों को मिलाकर 40.700 ग्राम धान लेना है ठीक इसी कड़ी में आज जिला मुंगेली में भी जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं पूर्व मंडी अध्यक्ष आत्मा सिंह क्षत्रिय साथ में जिला व शहर अध्यक्ष स्वतंत्र मिश्रा मीडिया टीम के साथ विभिन्न धान खरीदी केंद्रों में जाकर वस्तु स्थिति का जायजा लिया जिसमें पाया कि हर खरीदी केन्द्र में खरीदा हुआ धान अलग अलग वजन का पाया कहीं 41.500 kg तो कहीं 41. 300kg इसी तरह से हर खरीदी केन्द्र में अलग अलग वजन पाया गया किसी भी केंद्र में 41किलो से नीचे नहीं पाया गया जबकि राज्य सरकार की गाइड लाइन में धान खरीदने का मानक अलग है ऐसे ही बारदाना की स्थिति का पता लगाया इसमें भी गाइड लाइन के विपरीत खरीदा जा रहा है केंद्रों के प्रभारियों ने बताया कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में बारदाना नहीं होने की स्थिति में किसानों से 50 =50 के रेशियो से धान ले रहे हैं मतलब आधा बारदाना समिति के द्वारा दिया जा रहा है और आधा किसान ख़ुद ला रहे हैं तभी किसान का धान खरीदा जा रहा है जबकि राज्य सरकार के गाइड लाइन में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है
फिर यह सिस्टम कौन निर्देशत करवा रहा है क्या समिति प्रभारी या जिला प्रशासन _ जबकि हर खरीदी केन्द्र के लिए प्रशासन के द्वारा एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है तो क्या नोडल अधिकारी को राज्य सरकार का गाइड लाइन नहीं मालूम या फिर किसानों को यूं ही छला जा रहा है आखिर किसके निर्देश पर केंद्र प्रभारी किसानों से अधिक मात्रा में धान ले रहें है इससे किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है